मोती डूंगरी गणेश मन्दिर जयपुर
जयपुर में हिंदू धर्म से संबंधित बहुत से देवी देवताओं के मंदिर हैं इसलिए इसे छोटी काशी भी कहा जाता है। मोती डूंगरी गणेश मन्दिर जयपुर के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। लोगों की इसमें विशेष आस्था तथा विश्वास है।जयपुर और आप पास के लोग हर नए कार्य की शुरुआत मोती डूंगरी गणेश मंदिर से ही करते है|
मोतीडूंगरी की तलहटी में स्थित भगवान गणेश का यह मंदिर जयपुर वासियों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहां स्थापित गणेश प्रतिमा जयपुर नरेश माधोसिंह प्रथम की पटरानी के पीहर मावली से 1761 ई. में लाई गई थी। मावली में यह प्रतिमा गुजरात से लाई गई थी। उस समय यह पांच सौ वर्ष पुरानी थी।
उस जमाने के यातायात साधनों के हिसाब से बैलों के सग्गड़ में गणेश प्रतिमा कई महीनों के सफर के बाद जयपुर पहुंची। जहां अभी मंदिर है, वहीं रात्रि विश्राम किया गया तो कुछ ऐसे संकेत हुए जिसमें पुजारियों ने यह धारणा बनाई कि भगवान यहीं विराजना चाहते हैं।
मोतीडूंगरी के गणेशजी जयपुर की स्थापना के चौंतीस साल बाद यानि 1761 ईस्वी में प्रतिष्ठापित हुए ।प्रतिमा का भव्य पाटोत्सव हुआ, जिसमें राजा माधोसिंह प्रथम ने भी भाग लिया। बाद में माधोसिंह प्रथम की माता मांजी साहिबा राणावतजी ने यहां मंदिर बनवा दिया।
जयपुर के परकोटा इलाके से बाहर जेएलएन मार्ग पर मोती डूंगरी के निचले भाग में गणेश का प्राचीन मंदिर है। हर बुधवार को यहां मोती डूंगरी गणेश का मेला भरता है। मोती डूंगरी गणेश जी के प्रति भी यहां के लोगों में श्रद्धा है।
हर बुधवार को यहां होती है नए वाहनों की पूजा
मंदिर में हर बुधवार को नए वाहनों की पूजा कराने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ लगी होती है। माना जाता है कि नए वाहन की पूजा मोती डूंगरी गणेश मंदिर में की जाए तो वाहन शुभ होता है। लोगों की ऐसी ही आस्था जयपुर की पहचान बन चुकी है।
यहां दाहिनी सूंड़ वाले गणेशजी की विशाल प्रतिमा है, जिस पर सिंदूर का चोला चढ़ाकर भव्य श्रंगार किया जाता है।
गणेश चतुर्थी ग्रीटिंग्स और शुभकामनायें मेसेज
भजन : घर में पधारो गजाननजी मेरे घर में पधारो
श्री गणेश चालीसा Ganesh chalisa
श्री गणेश जी की आरती
मोती डूंगरी गणेश मन्दिर जयपुर
भजन : सुख करता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची
Leave a Reply