शरद पूर्णिमा पर ऐसे करें पूजा

Sharad Poonam

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धर्म शास्त्रों में इसे कोजागर पूर्णिमा भी कहा गया है। पुराणों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को भगवती महालक्ष्मी रात्रि में यह देखने के लिए घूमती हैं कि कौन जाग रहा है और जो जाग रहा है महालक्ष्मी उसका कल्याण करती हैं तथा जो सो रहा होता है वहां महालक्ष्मी नहीं ठहरती। लक्ष्मीजी के को जागर्ति (कौन जाग रहा है?) कहने के कारण ही इस व्रत का नाम कोजागर व्रत पड़ा है। इस दिन व्रत रख माता लक्ष्मी का पूजन करने का विधान भी है।

धार्मिक ग्रंथों में लिखे एक श्लोक के अनुसार-

निशीथे वरदा लक्ष्मी: को जागर्तिति भाषिणी।
जगाति भ्रमते तस्यां लोकचेष्टावलोकिनी।।
तस्मै वित्तं प्रयच्छामि यो जागर्ति महीतले।।

goddess-lakshmi

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पूजन विधि
इस व्रत में हाथी पर बैठे इंद्र और महालक्ष्मी का पूजन करके उपवास रखना चाहिए। रात के समय माता लक्ष्मी के सामने शुद्ध घी का दीया जलाकर गंध, फूल आदि से उनकी पूजा करें। इसके बाद 11, 21 या अपनी इच्छा के अनुसार दीपक जलाकर मंदिरों, बाग-बगीचों, तुलसी के नीचे या भवनों में रखना चाहिए। सुबह होने पर स्नान आदि करने के बाद देवराज इंद्र का पूजन कर ब्राह्मणों को घी-शक्कर मिश्रित खीर का भोजन कराकर वस्त्र आदि की दक्षिणा और सोने के दीपक देने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इस दिन श्रीसूक्त, लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ ब्राह्मण द्वारा कराकर कमलगट्टा, बेल या पंचमेवा अथवा खीर द्वारा दशांश हवन करवाना चाहिए। इस विधि से कोजागर व्रत करने से माता लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं तथा धन-धान्य, मान-प्रतिष्ठा आदि सभी सुख प्रदान करती हैं।

Krishna Ras lela on Sharad Poonam

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कोजागर व्रत कथा –
किसी समय मगध देश में वलित नामक एक संस्कारी, लेकिन दरिद्र ब्राह्मण रहता था। ब्राह्मण जितना सज्जन था उसकी पत्नी उतनी ही दुष्ट थी। वह ब्राह्मण की दरिद्रता को लेकर रोज उसे ताने देती थी। यहां तक की पूरे गांव में भी वह अपने पति की निंदा ही किया करती थी। पति के विपरीत आचरण करना ही उसने अपने धर्म बना लिया था।
यहां तक कि धन की चाह में वह रोज अपने पति को चोरी करने के लिए उकसाया करती थी। एक बार श्राद्ध के समय ब्राह्मण की पत्नी ने पूजन में रखे सभी पिण्डों को उठाकर कुएं में फेंक दिया। पत्नी की इस हरकत से दु:खी होकर ब्राह्मण जंगल में चला गया, जहां उसे नाग कन्याएं मिलीं। उस दिन आश्विन मास की पूर्णिमा थी।
नागकन्याओं ने ब्राह्मण को रात्रि जागरण कर लक्ष्मी को प्रसन्न करने वाला कोजागर व्रत करने को कहा। ब्राह्मण ने विधि-विधान पूर्वक कोजागर व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से ब्राह्मण के पास अतुल धन-सम्पत्ति हो गई। भगवती लक्ष्मी की कृपा से उसकी पत्नी की बुद्धि भी निर्मल हो गई और वे दंपती सुखपूर्वक रहने लगे।

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