ये है देश का सबसे प्रसिद्ध और सबसे बड़ा चौथ माता का मंदिर
करवा चौथ हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। वैसे एक साल में मुख्य रूप से चार चौथ के व्रत किए जाते हैं। जिनमें से सबसे ज्यादा प्रचलित करवा चौथ का व्रत है। इसे अधिकांश सुहागिन स्त्रियां करती हैं। चौथ व्रत में चौथ माता की आराधना की जाती है और उनसे सुहागिन स्त्रियां अपने सुहाग की रक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं।
चौथ माता मंदिर
चौथ माता मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की स्थापना 1451 में वहां के शासक भीम सिंह ने की थी। 1463 में मंदिर मार्ग पर बिजल की छतरी और तालाब का निर्माण कराया गया। इस मंदिर में दर्शन के लिए राजस्थान से ही नहीं अन्य राज्यों से भी लाखों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं। नवरात्र के दौरान यहां होने वाले धार्मिक आयोजनों का विशेष महत्व है। करीब एक हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर विराजमान चौथ माता जन-जन की आस्था का केन्द्र है।
कैसा है मंदिर
शहर से 35 किमी दूर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह मंदिर राजस्थान के शहर के आस-पास का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। मंदिर सुंदर हरे वातावरण और घास के मैदान के बीच स्थित है। सफेद संगमरमर के पत्थरों से स्मारक की संरचना तैयार की गई है। दीवारों और छत पर जटिल शिलालेख के साथ यह वास्तुकला की परंपरागत राजपूताना शैली के लक्षणों को प्रकट करता है।
किसी भी शुभ काम का पहला निमंत्रण देते है माता को
मंदिर तक पहुंचने के लिए 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। देवी की मूर्ति के अलावा, मंदिर परिसर में भगवान गणेश और भैरव की मूर्तियां भी दिखाई पड़ती हैं।
हाड़ौती क्षेत्र के लोग हर शुभ कार्य से पहले चौथ माता को निमंत्रण देते हैं। प्रगाढ़ आस्था के कारण बूंदी राजघराने के समय से ही इसे कुल देवी के रूप में पूजा जाता है। माता के नाम पर कोटा में चौथ माता बाजार भी है। कोई संतान प्राप्ति तो कोई सुख-समृद्धि की कामना लेकर चौथ माता के दर्शन को आता है। मान्यता है कि माता सभी की इच्छा पूरी करती हैं।
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