गणगौर उद्यापन की विधि (Gangaur Udyapan vidhi )
सोलह दिन की गणगौर के बाद, अंतिम दिन जो विवाहिता की गणगौर पूजी जाती है उसका उद्यापन किया जाता है .
गणगौर उद्यापन की विधि हिंदी में – Gangaur Udyapan Vidhi In Hindi
- आखरी दिन गुने(फल) सीरा , पूड़ी, गेहू गणगौर को चढ़ाये जाते है |
- आठ गुने चढा कर चार वापस लिये जाते है |
- गणगौर वाले दिन कवारी लड़किया और ब्यावली लड़किया दो बार गणगौर का पूजन करती है एक तो प्रतिदिन वाली और दूसरी बार मे अपने-अपने घर की परम्परा के अनुसार चढ़ावा चढ़ा कर पुनः पूजन किया जाता है उस दिन ऐसे दो बार पूजन होता है |
- दूसरी बार के पूजन से पहले ब्यावाली स्त्रिया चोलिया रखती है ,जिसमे पपड़ी या गुने(फल) रखे जाते है |उसमे सोलह फल खुद के,सोलह फल भाई के,सोलह जवाई की और सोलह फल सास के रहते है |
- चोले के उपर साड़ी व सुहाग का समान रखे | पूजा करने के बाद चोले पर हाथ फिराते है |
- शाम मे सूरज ढलने से पूर्व गाजे-बाजे से गणगौर को विसर्जित करने जाते है और जितना चढ़ावा आता है उसे कथानुसार माली को दे दिया जाता है|
- गणगौर विसर्जित करने के बाद घर आकर पांच बधावे के गीत गाते है |
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