गोविन्द मेरी यह प्रार्थना है, भूलूँ न मैं नाम कभी तुम्हारा।

गोविन्द मेरी यह प्रार्थना है, भूलूँ न मैं नाम कभी तुम्हारा।
निष्काम होके दिनरात गाऊँ। गोविन्द दामोदर माध्वेति।
हे कॄष्ण, हे यादव, हे सखेति॥
देहान्तकाले तुम सामने हो, बंशी बजाते, मन को लुभाते।
गाता यही मैं, तन नाथ त्यागूँ। गोविन्द दामोदर माध्वेति।
हे कॄष्ण, हे यादव, हे सखेति॥
माता यशोदा हरि को जगावे, जागो उठो मोहन नैन खोलो।
द्वारे खड़े गोप बुला रहे हैं। गोविन्द दामोदर माध्वेति।
हे कॄष्ण, हे यादव, हे सखेति॥
कोई नवेली पति को जगावे, प्राणेश जागो, अब नींद त्यागो।
बेला यही है, हरि गीत गाओ। गोविन्द दामोदर माध्वेति।
हे कॄष्ण, हे यादव, हे सखेति॥
नाता भला क्या जग से हमारा ? आयें यहाँ क्यों? कर क्या रहे है?
सोचो, विचारो, हरि को पुकारो। गोविन्द दामोदर माध्वेति।
हे कॄष्ण, हे यादव, हे सखेति॥

sanwaliya ji mandir chittorgarh rajasthan

sanwaliya ji mandir chittorgarh rajasthan

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *