ले गयी रे हमरो चितचोर कन्हैया तेरी बंसुरिया
ले गयी रे हमरो चितचोर कन्हैया तेरी बंसुरिया
कन्हैया तेरी बाँसुरिया, कन्हैया तेरी बाँसुरिया
देवी पुजन चली एक दिन ले पूजा को थाल
मंदिर महू पहुंच न पायी मिल्यो नन्द को लाल
गयो निरख नयन की कोर, कन्हैया तेरी बाँसुरिया…
इक दिन प्रात उठी सखी री दही बिलोवन लागी
माखन काढ ना पायी तभी तीस ह्रदय में लागी
बैरन बाज उठी बड़ी भोर, कन्हैया तेरी बाँसुरिया
दही मटुकिया ले इख्लाती चली बेचने गोरी
घोर सांकरी ग्वाल संग ले घेर लई मैं गोरी
दई बरबस मटुकिया फोड़, कन्हैया तेरी बाँसुरिया
पी पी रस अधरन को सौतन भर गयी अधिक गुमान
एक बोल में नखरो भरी खींच लेत है प्राण
कोई चले न निगोड़ी पे जोर, कन्हैया तेरी बाँसुरिया
मोर गरीबन पर अलबेली काहे की रुस्वानी
सुनो सायानी मेरी करुण कहानी
जर जर गयो जीयरा मोर, कन्हैया तेरी बाँसुरिया
मानो बात हमारी लाला मुरली देओ उधार
केसर तिलक चढ़ाये करेंगी पुष्पन सो श्रृंगार
औरु विनती करेंगी कर जोर, कन्हैया तेरी बाँसुरिया…
पाछे भागन वाली बेहना एक विनय सुन लीजे
ऐसो करो उपाय, लाडली मोहन हम पर रीझें
प्रियतम नंदकिशोर, कन्हैया तेरी बाँसुरिया
एक बात सुनले श्यामा तेरे बिन रहे न पाऊ
जब जब बाजे तेरी मुरलिया दौड़ी दौड़ी आऊ
मेरा लगे न कोई जोर श्यामा, कन्हैया तेरी बाँसुरिया
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