मेरे रोम रोम में श्याम मगन मैं नाचूँगी

Sanwaliya Ji

मेरे रोम रोम में श्याम, मगन मैं नाचूँगी
मुझे दुनिया से क्या काम, मगन मैं नाचूंगी
नाचूंगी, मैं तो नाचूंगी, सलोने श्याम, रसीले श्याम

मैं गिरिधर की गिरिधर मेरे,
जनम जनम के हो गए फेरे ।
मेरा जुड़ गया इनसे नाम,
मगन मैं नाचूंगी ॥

मुझे नचावे उसकी मस्ती,
मुझको मिल गयी बिकुल सस्ती ।
ना कौड़ी लगा ना दाम,
मगन मैं नाचूंगी ॥

जब काहना की बाजे मुरलिया,
छम छम बाजे मोरी पायलिया ।
अब लोग करे बदनाम,
मगन मैं नाचूंगी ॥

ऐसी नज़र प्रेम की मारी,
सुध बुध बूल गयी मुझे सारी ।
और भूल गयी घर बार,
मगन मैं नाचूंगी ॥


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