आखिर क्यों लड़ा गया महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में…???
कुरुक्षेत्र का महत्व
महाभारत युद्ध के बारे में लगभग सभी लोग कुछ न कुछ जरूर जानते हैं। महाभारत की कथा सिर्फ पांडव व कौरवों तक ही सीमित नहीं है। इनसे हजारों साल पहले के राजाओं का वर्णन भी इस ग्रंथ में किया गया है। पांडव तथा कौरव कुरुवंश के थे, ये बात भी कुछ ही लोग जानते हैं। राजा कुरु के नाम से इस वंश का नाम कुरुवंश पड़ा।
जिस स्थान पर महाभारत का प्रसिद्ध युद्ध हुआ, वह स्थान (कुरुक्षेत्र) भी राजा कुरु के नाम से ही प्रसिद्ध है। राजा कुरु के नाम से ही कुरु महाजनपद का नाम प्रसिद्ध हुआ, जो प्राचीन भारत के सोलह महाजनपदों में से एक था। भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में ही अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। आज हम आपको पांडव व कौरवों के पूर्वज राजा कुरु के बारे में खास बातें बता रहे हैं।
महाभारत एवं अन्य पुराणों में कुरुक्षेत्र की महिमा के बारे में बताया गया है। महाभारत के वनपर्व के अनुसार, कुरुक्षेत्र में आकर सभी लोग पापमुक्त हो जाते हैं और जो ऐसा कहता है कि मैं कुरुक्षेत्र जाऊंगा और वहीं निवास करुंगा। यहां तक कि यहां की उड़ी हुई धूल के कण पापी को परम पद देते हैं। नारद पुराण में आया है कि ग्रहों, नक्षत्रों एवं तारागणों को कालगति से (आकाश से) नीचे गिर पड़ने का भय है, किन्तु वे, जो कुरुक्षेत्र में मरते हैं पुन: पृथ्वी पर नहीं गिरते, अर्थात् वे पुन:जन्म नहीं लेते। भगवद्गीता के प्रथम श्लोक में कुरुक्षेत्र को धर्मक्षेत्र कहा गया है।
इसलिए कुरुक्षेत्र में लड़ा गया महाभारत का युद्ध
महाभारत के अनुसार, कुरु ने जिस क्षेत्र को बार-बार जोता था, उसका नाम कुरुक्षेत्र पड़ा। कहते हैं कि जब कुरु इस क्षेत्र की जुताई कर रहे थे तब इन्द्र ने उनसे जाकर इसका कारण पूछा। कुरु ने कहा कि जो भी व्यक्ति इस स्थान पर मारा जाए, वह पुण्य लोक में जाए, ऐसी मेरी इच्छा है। इन्द्र उनकी बात को हंसी में उड़ाते हुए स्वर्गलोक चले गए। ऐसा अनेक बार हुआ। इन्द्र ने अन्य देवताओं को भी ये बात बताई।
देवताओं ने इन्द्र से कहा कि यदि संभव हो तो कुरु को अपने पक्ष में कर लो। तब इन्द्र ने कुरु के पास जाकर कहा कि राजा कुरु तुम व्यर्थ ही कष्ट कर रहे हो। यदि कोई भी पशु, पक्षी या मनुष्य निराहार रहकर या युद्ध करके यहां मारा जायेगा तो वह स्वर्ग का भागी होगा। कुरु ने यह बात मान ली। ये बात भीष्म, कृष्ण आदि सभी जानते थे, इसलिए महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में लड़ा गया।
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