एकमुखी रुद्राक्ष पहनने वाला नहीं होता गरीब

सुप्रभात मित्रो,

भगवान शिव भस्म रमाते हैं और नाग उनका आभूषण है। शिव के तीन नेत्र हैं और वे चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण करते हैं। ऐसी अनेक बातें हैं जो भगवान शिव के स्वरूप से जुड़ी हैं। इसी प्रकार रुद्राक्ष भी भगवान शिव के स्वरूप से जुड़ा है। शिवपुराण की विद्येश्वर संहिता में रुद्राक्ष के 14 प्रकार बताए गए हैं। एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला कभी गरीब नहीं होता, ऐसा शिवपुराण में लिखा है।

ekmukhirudraksha

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रुद्राक्ष का अर्थ है रुद्र अर्थात शिव की आंख से निकला अक्ष यानी आंसू। रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिव के आंसुओं से मानी जाती है। इस बारे में एक कथा प्रचलित है। उसके अनुसार, एक बार भगवान शिव ने अपने मन को वश में कर संसार के कल्याण के लिए सैकड़ों सालों तक तप किया। एक दिन अचानक ही उनका मन दु:खी हो गया। जब उन्होंने अपनी आंखें खोलीं तो उनमें से कुछ आंसू की बूंदें गिर गई। इन्हीं आंसू की बूंदों से रुद्राक्ष नामक वृक्ष उत्पन्न हुआ।

शिवपुराण की विद्येश्वर संहिता में रुद्राक्ष के 14 प्रकार बताए गए हैं। सभी का महत्व व धारण करने का मंत्र अलग-अलग है। इन्हें माला के रूप में पहनने से मिलने वाले फल भी भिन्न ही हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इन रुद्राक्षों को विधि-विधान से धारण करने से विशेष लाभ मिलता है। सावन के पवित्र महीने में हम आपको बता रहे हैं रुद्राक्ष के प्रकार, उन्हें धारण करने के मंत्र तथा होने वाले लाभ के बारे में-
1. शिवपुराण के अनुसार, एक मुख वाला रुद्राक्ष साक्षात शिव का स्वरूप है। यह भोग और मोक्ष प्रदान करता है। जहां इस रूद्राक्ष की पूजा होती है, वहां से लक्ष्मी दूर नहीं जाती अर्थात जो भी इसे धारण करता है वह कभी गरीब नहीं होता।
धारण करने का मंत्र- ऊं ह्रीं नम:

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भगवान शिव आपकी हर मनोकामना पूरी करे।

!! ॐ नमः शिवाय !!

!! जय श्री सांवलिया सेठ जी !!


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