आज एकादशी पर इस प्रकार व्रत करने से होगी धन वर्षा

भगवान ब्रह्मा ने धन के देवता कुबेर को धनपति के नाम से प्रसिद्ध होने के वरदान के साथ-साथ एकादशी का अधिकारी भी बनाया। श्रीवराहपुराण के अनुसार एकादशी पर अग्नि में पका भोजन न करते हुए केवल फल आदि का सेवन करके पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान कुबेर का व्रत करना चाहिए। जो मनुष्य ऐसा करता है उस पर भगवान कुबेर हमेशा प्रसन्न रहते हैं और उनकी हर इच्छा पूरी करते हैं।

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भगवान कुबेर को धन का देवता कहा जाता है। मनुष्य धन प्राप्ति के लिए भगवान कुबेर के व्रत और उपवास करता है, लेकिन भगवान कुबेर की उत्पत्ति और शरीर धारण करने की कथा बहुत ही कम लोग जानते हैं। भगवान कुबेर की उत्पत्ति कैसे हुई थी और किस-किस दिन उनका व्रत करने से उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है, इससे संबंधित एक कथा श्रीवराहपुराण में है।

ऐसे हुई थी भगवान कुबेर की उत्पत्ति

श्रीवराहपुराण के अनुसार, भगवान कुबेर पहले सिर्फ वायु के ही रूप में थे। उन्होंने अपना शरीर भगवान ब्रह्मा के कहने पर धारण किया। एक समय की बात है भगवान ब्रह्मा सृष्टि की रचना करना चाहते थे। तभी अचानक उनके मुंह से वायु निकली। वायु बड़ी तेजी से यहां से वहां बहने लगी। वायु के तेज से सभी जगह धूल फैलने लगी। इस स्थिति को रोकने के लिए भगवान ब्रह्मा ने उस वायु को शांत होकर शरीर धारण करने को कहा। भगवान ब्रह्मा के कहने पर वायु ने कुबेर का रूप धारण किया और सशरीर भगवान ब्रह्मा के सामने आए। कुबेर पर प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने उसे धन का देवता बनाया और धनपति के नाम से प्रसिद्ध होने का वरदान भी दिया।


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