नवरात्र की नौ देवियां

देवी के नौ रूप, नवरात्रि में 9 रूपों की पूजा

देवी के नौ रूप, नवरात्रि में 9 रूपों की पूजा

पहले दिन: शैलपुत्री
नवरात्र पर्व(Navratri Festival)के प्रथम दिन को शैलपुत्री नामक देवी की आराधना की जाती है। पुराणों में यह कथा प्रसिद्ध है कि हिमालय के तप से प्रसन्न होकर आद्या शक्ति उनके यहां पुत्री के रूप में अवतरित हुई और इनके पूजन के साथ नवरात्र का शुभारंभ होता है।
नवरात्रि प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा Maa shail putri pujan vidhi

दूसरे दिन: ब्रह्मचारिणी
भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए पार्वती की कठिन तपस्या से तीनों लोक उनके समक्ष नतमस्तक हो गए। देवी का यह रूप तपस्या के तेज से ज्योतिर्मय है। इनके दाहिने हाथ में मंत्र जपने की माला तथा बाएं में कमंडल है।
नवरात्रि दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा Maa brahmcharini pujan vidhi hindi

तीसरे दिन: चंद्रघंटा
यह देवी का उग्र रूप है। इनके घंटे की ध्वनि सुनकर विनाशकारी शक्तियां तत्काल पलायन कर जाती हैं। व्याघ्र पर विराजमान और अनेक अस्त्रों से सुसज्जित मां चंद्रघंटा भक्त की रक्षा हेतु सदैव तत्पर रहती हैं।

नवरात्रि तीसरा दिन माँ चन्द्रघन्टा की पूजा Maa chandraghanta pujan vidhi hindi

चौथे दिन: कूष्मांडा
नवरात्र पर्व (Navratri Festival)के चौथे दिन भगवती के इस अति विशिष्ट स्वरूप की आराधना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इनकी हंसी से ही ब्रह्माण्ड उत्पन्न हुआ था. अष्टभुजी माता कूष्मांडा के हाथों में कमंडल, धनुष-बाण, कमल, अमृत-कलश, चक्र तथा गदा है। इनके आठवें हाथ में मनोवांछित फल देने वाली जपमाला है।

नवरात्रि चौथा दिन माँ कुष्माण्डा की पूजा Maa kushmanda pujan vidhi hindi

पांचवे दिन: स्कंदमाता
नवरात्र पर्व(Navratri Festival)की पंचमी तिथि को भगवती के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। देवी के एक पुत्र कुमार कार्तिकेय (स्कंद) हैं, जिन्हें देवासुर-संग्राम में देवताओं का सेनापति बनाया गया था। इस रूप में देवी अपने पुत्र स्कंद को गोद में लिए बैठी होती हैं। स्कंदमाता अपने भक्तों को शौर्य प्रदान करती हैं।

नवरात्रि पाँचवा दिन माँ स्कंदमाता की पूजा Maa skandmata pujan vidhi hindi

छठे दिन: कात्यायनी
कात्यायन ऋषि की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवती उनके यहां पुत्री के रूप में प्रकट हुई और कात्यायनी कहलाई। कात्यायनी का अवतरण महिषासुर वध के लिए हुआ था। यह देवी अमोघ फलदायिनी हैं। भगवान कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने देवी कात्यायनी की आराधना की थी। जिन लडकियों की शादी न हो रही हो या उसमें बाधा आ रही हो, वे कात्यायनी माता की उपासना करें।

नवरात्रि छठा दिन माँ कात्यायनी की पूजा Maa katyayani mata pujan vidhi hindi

सातवें दिन: कालरात्रि
नवरात्र पर्व के सातवें दिन सप्तमी को कालरात्रि की आराधना का विधान है। यह भगवती का विकराल रूप है। गर्दभ (गदहे) पर आरूढ़ यह देवी अपने हाथों में लोहे का कांटा तथा खड्ग (कटार) भी लिए हुए हैं। इनके भयानक स्वरूप को देखकर विध्वंसक शक्तियां पलायन कर जाती हैं।

नवरात्रि सातवां दिन माँ कालरात्रि की पूजा Maa kalratri mata

आठवें दिन: महागौरी
नवरात्र पर्व की अष्टमी को महागौरी की आराधना का विधान है। यह भगवती का सौम्य रूप है। यह चतुर्भुजी माता वृषभ पर विराजमान हैं. इनके दो हाथों में त्रिशूल और डमरू है। अन्य दो हाथों द्वारा वर और अभय दान प्रदान कर रही हैं। भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए भवानी ने अति कठोर तपस्या की, तब उनका रंग काला पड गया था। तब शिव जी ने गंगाजल द्वारा इनका अभिषेक किया तो यह गौरवर्ण की हो गई. इसीलिए इन्हें गौरी कहा जाता है।

 नवरात्रि आठवां दिन माँ महागौरी की पूजा MahaGauori pujan vidhi hindi

नौवे दिन : सिद्धिदात्री
नवरात्र पर्व के अंतिम दिन नवमी को भगवती के सिद्धिदात्री स्वरूप का पूजन किया जाता है। इनकी अनुकंपा से ही समस्त सिद्धियां प्राप्त होती हैं. अन्य देवी-देवता भी मनोवांछित सिद्धियों की प्राप्ति की कामना से इनकी आराधना करते हैं। मां सिद्धिदात्री चतुर्भुजी हैं। अपनी चारों भुजाओं में वे शंख, चक्र, गदा और पद्म (कमल) धारण किए हुए हैं. कुछ धर्मग्रंथों में इनका वाहन सिंह बताया गया है, परंतु माता अपने लोक प्रचलित रूप में कमल पर बैठी (पद्मासना) दिखाई देती हैं। सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूर्ण हो जाता है।

नौवां दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा Maa sidhidatri pujan vidhi

नवरात्रि पूजन विधि Navratri Pujan Vidhi

नवरात्र सरल पूजन विधि, विशेष मंत्र व सम्पूर्ण आरती, चालीसा


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